राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए एनडीए (NDA) द्वारा अपने दमदार उम्मीदवार की घोषणा कर दी गई है. बीजेपी की हाल ही में की गई मीटिंग में पार्लियामेंट्री बोर्ड (BJP Parliamentary Board Meeting) ने लगभग 20 नामों पर चर्चा की थी, लेकिन जो चेहरा सबके सामने उम्मीदवार बनके आया उसने तो सभी को चौंका डाला था.
द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) को राजनीति में काफी अनपॉपुलर नाम माना जाता है. लेकिन आपमें से शायद ही कोई जानता होगा कि द्रौपदी मुर्मू आदिवासी जाति से संबंध रखती है और अगर वो राष्ट्रपति बनती हैं तो ऐसा पहली बार होगा कि कोई आदिवासी देश का राष्ट्रपति बनेगा.
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बन जाने के बाद से ही बीजेपी पार्टी द्वारा कई सारे एक्सपेरिमेंट किए गए हैं, पार्टी की तरफ से लिए गए फैसलों ने लोगों को कई बार चौंकाया है. इस बार द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाकर पार्टी सभी को चौंका दिया गया है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत की जनसंख्या का 8.6 फीसदी यानी लगभग 11 करोड़ की जनसंख्या आदिवासी प्रदेश से ही संबंध रखती है. देश की इतनी बड़ी जनसंख्या को देश काफी समय से नजरंदाज करता आ रहा है.
अपने भारत देश में अनसूचित आदिवासी समूहों की संख्या 700 से काफी ज्यादा अधिक मानी जाती है. साल 1951 के बाद से आदिवासियों को हिंदू आबादी के तौर पर संविधान की तरफ से पहचान दी गई है, इससे पहले इन्हें एक अन्य धर्म में ही गिना जाता था.
भारत सरकार द्वार दिए गए आंकड़ों के अनुसार आदिवासियों की देश में सबसे ज्यादा आबादी मध्य प्रदेश में ही रहती है. इसके बाद ओडिशा और झारखंड प्रदेश का नंबर आता है.
भारतीय जनता पार्टी द्वारा द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने के पश्चात देश के सभी आदिवासी क्षेत्र में काफी खुशी का माहौल है और लोगों में खुद के प्रति कल्याण के लिए भी अब एक उम्मीद भी जाग गई है।
द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का सबसे बेहतरीन उम्मीदवार माना जा रहा है क्योंकि उन्होंने अपने जीवन को बेहतरीन काफी सादगी से व्यतीत किया है। अभी हाल ही में कोरोना काल के समय उन्होंने लॉकडाउन में अपने सभी हाउसकीपर को छुट्टी दे दी थी और खुद ही घर का सारा काम किया था, जिसके लिए द्रौपदी मुर्मू को काफी लोकप्रियता मिली थी।
द्रौपदी मुर्मू का राजनीतिक और व्यक्तिगत जीवन काफी मुश्किलों से भरा थ, द्रौपदी मुर्मू की शादी चरण मुर्मू से हुई थी और उनके तीन बच्चे थे जिनमें से दो की मृत्यु हो चुकी है और उनके पति भी आज इस दुनिया में नहीं है जबकि उनकी बेटी इति की गणेश हेंब्रम के साथ शादी हो चुकी है।
द्रोपदी के राजनीतिक करियर की बात करें तो वह राजनीति से आने से पहले वह सिंचाई विभाग में क्लर्क के तौर पर काम करती थी। इन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत एक पार्षद के तौर पर की थी।
इसके अलावा उन्हें सर्वश्रेष्ठ विधायक बनने के लिए नील कंठ पुरस्कार भी मिल चुका है। इसके अलावा उनके नाम झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनने का गौरव भी दर्ज है।