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लता मंगेशकर का संघर्ष छू लेगा आपका दिल, जब सिर्फ चाय बिस्कुट खाकर ही गुजार लिया करती थी पूरा दिन

महान गायिका लता मंगेशकर 92 वर्ष की उम्र में परलोक सिधार गयी। वो काफी लंबे समय से बीमार चल रही थी। वह 8 जनवरी से ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती थी। लता मंगेशकर को सुर कोकिला के नाम से भी जाना जाता था।

उन्होंने इतना बड़ा मुकाम हासिल करने के लिए काफी संघर्ष किया है। इसकी जानकारी उन्होंने खुद दी है। काम की ऐसी लगन थी कि वो खाना-पीना तक भूल जाती थी। वे सिर्फ चाय या पानी पीकर ही अपना पूरा दिन गुजार लिया करती थी।

उनके संघर्ष के दिनों का जिक्र यतींद्र मिश्र की किताब ‘लता सुर गाथा’ में आपको पढ़ने के लिए मिल जाएगा। ‘इस पुस्तक को नेशनल फिल्म पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका हैं।

लता मंगेशकर ने किताब में बताया था, ‘मैं अक्सर रिकॉर्डिंग करते-करते थक जाती थी और मुझे बहुत तेज भूख भी लगने लगती थी।

उस समय रिकॉर्डिंग स्टूडियो में कैंटीन हुआ करती थी। मुझे याद नहीं कि वहां खाने खाने के लिए कुछ बेहतर मिलता हो।

मैं सिर्फ एक दो कप चाय और बिस्किट में ही पूरा दिन गुजार लिया करती थी। कई बार तो सिर्फ पानी पीते हुए ही पूरा दिन निकल जाता था और यह ध्यान ही नहीं रहता था कि कैंटीन जाकर मुझे चाय भी पीनी है।

हमेशा यह बात दिमाग में घूमती रहती थी कि किसी तरह बस मुझे अपने परिवार का ध्यान रखना है।

मैं अपने परिवार के लिए ज्यादा से ज्यादा रुपये कमाना चाहती थी ताकि उनकी जरूरतों को पूरा कर सकूँ।

इसी चीज में मेरा सारा समय निकल जाया करता था। मुझे रिकॉर्डिंग से या उसकी तकलीफों से इतना फर्क नहीं पडा करता था।

जितना इस बात से फर्क पड़ता था कि कल में मेरे कितने गीत रिकॉर्ड किये जाएंगे फलां फिल्म के खत्म होने के साथ मुझे नए कॉन्ट्रेक्ट की दूसरी फिल्म के गाने कब रिकॉर्ड करने है।

लता मंगेशकर जी का जन्म 28 सितम्बर 1929 को इंदौर मध्यप्रदेश में हुआ था। उनके पिता का नाम दीनानाथ मंगेशकर और माता का नाम शेवंति था। उनके पिता, दीनानाथ एक शास्त्रीय गायक और थिएटर अभिनेता थे।

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